Maha Kumbh: महाकुंभ स्नान के बाद क्यों करनी चाहिए पंचकोशी परिक्रमा? क्या मिलता है इससे फल
महाकुंभ में इन दिनों लाखों की संख्या में लोग आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। साथ ही पंचकोशी परिक्रमा भी कर रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि महाकुंभ स्नान के बाद क्यों करनी चाहिए पंचकोशी परिक्रमा?
Maha Kumbh: महाकुंभ स्नान के बाद क्यों करनी चाहिए पंचकोशी परिक्रमा?
महाकुंभ, भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपरा का एक अद्वितीय अवसर है, जो हर बार 12 वर्षों में आयोजित होता है। यह त्योहार लाखों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है, जो यहाँ स्नान करने और आस्था प्रकट करने के लिए आते हैं। महाकुंभ स्नान के बाद पंचकोशी परिक्रमा का महत्व भी अत्यधिक है।
पंचकोशी परिक्रमा का महत्व
पंचकोशी परिक्रमा, जिसे उत्तर भारत में पसंद किया जाता है, विशेष रूप से हरिद्वार और वाराणसी क्षेत्र में किया जाता है। इसका उद्देश्य धार्मिक पूजन, आत्मनिर्भरता, और पवित्रता को बढ़ावा देना है। स्नान के बाद पंचकोशी परिक्रमा करने से भक्त अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करते हैं। यह परिक्रमा भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है।
क्या मिलता है इससे फल
महाकुंभ स्नान के बाद पंचकोशी परिक्रमा करने से अनेक लाभ होते हैं। कुछ प्रमुख फलों में शामिल हैं:
- आध्यात्मिक शुद्धि: यह आत्मा की शुद्धि का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
- सकारात्मक ऊर्जा: परिक्रमा से व्यक्ति में सकारात्मकता का संचार होता है।
- कृपा: भक्त को ईश्वर की कृपा के साथ-साथ संतों का आशीर्वाद मिलता है।
- स्वास्थ्य लाभ: चलने से शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।
इस प्रकार, महाकुंभ स्नान के बाद पंचकोशी परिक्रमा करना एक आवश्यक और लाभदायक प्रक्रिया है। इसके माध्यम से न केवल आध्यात्मिक मोक्ष की प्राप्ति होती है, बल्कि व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी सुधारता है।
अंत में
इस महाकुंभ के पावन अवसर पर भक्तों को पंचकोशी परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक स्वस्थ
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