Mahakumbh: महाकुंभ का महत्व क्या है? राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मनोरमा ने इंडिया टीवी से की Exclusive बातचीत

राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मनोरमा ने इंडिया टीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में महाकुंभ के महत्व के बारे में बताया है। उन्होंने समुद्र मंथन की पूरी कहानी के बारे में भी बताया।

Jan 12, 2025 - 15:53
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Mahakumbh: महाकुंभ का महत्व क्या है? राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मनोरमा ने इंडिया टीवी से की Exclusive बातचीत

महाकुंभ का महत्व क्या है? राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मनोरमा ने इंडिया टीवी से की Exclusive बातचीत

महाकुंभ, जिसे हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण आस्था स्थल माना जाता है, विश्वभर के करोड़ों भक्तों को एकत्रित करने का एक अद्भुत अवसर है। यह एक ऐसा पर्व है जिसमें विशेष धार्मिक अनुष्ठान और स्नान का आयोजन किया जाता है। इस महाकुंभ के महत्व पर बात करते हुए, राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मनोरमा ने इंडिया टीवी के साथ एक विशेष बातचीत की, जहाँ उन्होंने इस वर्ष के महाकुंभ के आध्यात्मिक और सामाजिक पहलुओं पर अपने विचार साझा किए।

महाकुंभ का इतिहास और महत्व

महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्ष में विभिन्न नदियों के किनारे किया जाता है। यह पर्व भारत के चार प्रमुख स्थानों पर आयोजित होता है: हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन और नासिक। प्रत्येक स्थान पर स्नान करने से धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ की प्राप्ति होती है। ब्रह्माकुमारी मनोरमा ने बताया कि महाकुंभ में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को न केवल शारीरिक स्वास्थ्य मिलता है, बल्कि उनकी मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास भी होता है।

राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मनोरमा का दृष्टिकोण

इंडिया टीवी के साथ अपनी बातचीत में, ब्रह्माकुमारी मनोरमा ने कहा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करने का माध्यम भी है। उन्होंने यह भी बताया कि आध्यात्मिकता और सकारात्मकता से जुड़े कर्म हमें जीवन में आगे बढ़ाने में मदद करते हैं।

समाज में महाकुंभ का प्रभाव

महाकुंभ का आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व लोगों को एकत्रित करता है और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, ब्रह्माकुमारी मनोरमा ने बताया कि इस अवसर पर जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्य सम्पन्न होते हैं, जैसे स्वच्छता अभियान, स्वास्थ्य जांच शिविर, और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना।

उपसंहार

महाकुंभ का महत्व न केवल आध्यात्मिक होता है, बल्कि यह समाज की एकता और भाईचारे को भी दर्शाता है। राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मनोरमा की बातचीत से यह स्पष्ट होता है कि इस महापर्व में सम्मिलित होना सिर्फ धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक विकास का एक साधन है। इस प्रकार के आयोजनों में भाग लेने से हम अपने अंतर्मन को पहचानने और बेहतर इंसान बनने का अवसर प्राप्त करते हैं।

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