RBI ने बैंकों के लिए मार्च तक ट्राई की MNRL टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना किया अनिवार्य, साइबर फ्रॉड पर नजर
भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि मोबाइल नंबर का दुरुपयोग ऑनलाइन और दूसरी धोखाधड़ी करने के लिए किया जा सकता है। साथ ही यह भी स्वीकार किया कि मोबाइल नंबर एक 'सर्वव्यापी पहचानकर्ता' के रूप में उभरा है।
परिचय
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है जिसमें बैंकों को मार्च 2024 तक ट्राई की MNRL (मल्टीलेयर नेटवर्क रिस्पॉन्स लिटरेसी) टेक्नोलॉजी का उपयोग करना अनिवार्य किया गया है। यह कदम साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामलों के मद्देनजर उठाया गया है, जिससे ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नई तकनीक का समावेश किया जा रहा है।
MNRL टेक्नोलॉजी: एक नई दिशा
MNRL टेक्नोलॉजी ग्राहकों को साइबर फ्रॉड के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ अपनी सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए नए दिशानिर्देश प्रदान करती है। RBI का मानना है कि इस तकनीक का उपयोग करके बैंकों में साइबर संबंधी घटनाओं को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है।
साइबर फ्रॉड: एक गम्भीर समस्या
साइबर फ्रॉड अब एक गम्भीर चुनौती बन गया है, जहाँ धोखाधड़ी और जालसाजी के तरीके तेजी से विकसित हो रहे हैं। RBI के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में बैंक fraud के मामलों में भारी वृद्धि हुई है, जिसमें अनधिकृत लेन-देन का मुख्य कारण तकनीकी कमजोरियों को माना गया है।
बैंकों की जिम्मेदारी और उपाय
इस निर्देश के अनुसार, सभी बैंकों को संबंधित अधिकारियों को समय पर प्रशिक्षित करना होगा और उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली तकनीकियों में सुधार करना होगा। RBI ने बैंकिंग संगठनों से कहा है कि वे अपनी साइबर सुरक्षा नीतियों को सशक्त और परिष्कृत करें ताकि ग्राहकों को सुरक्षित और विश्वसनीय बैंकिंग अनुभव प्राप्त हो सके।
निष्कर्ष
RBI का यह कदम यह दर्शाता है कि सुरक्षा तकनीक और ग्राहक जागरूकता अब बैंकिंग प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। इससे न केवल बैंकिंग उद्योग को मजबूती मिलेगी, बल्कि ग्राहकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। इस दिशा में सभी बैंकों को सक्रिय रूप से कदम उठाने होंगे।
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