'अंतिम सांसे ले रहा नक्सलवाद', CM साय ने गणतंत्र दिवस पर नक्सलियों को दी चेतावनी
छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर नक्सलियों को चेतावनी दे दी है। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद अब अंतिम सांसे ले रहा है। जल्द ही बस्तर पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो जाएगा।
अंतिम सांसे ले रहा नक्सलवाद
गणतंत्र दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM भूपेश बघेल) ने नक्सली गतिविधियों के बारे में चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद अब अपने अंतिम चरण में है और राज्य सरकार इसके खिलाफ ठोस कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह घोषणा उपदेशक है उन सभी के लिए जो सामाजिक शांति और विकास में बाधा डालते हैं।
CM साय नक्सलियों के खिलाफ मजबूत संदेश
मुख्यमंत्री ने आगामी गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में नागरिकों को अपडेट किया कि सरकार ने नक्सली प्रभाव को समाप्त करने के लिए कई योजनाएँ बनाई हैं। उन्होंने आस-पास के गांवों में विकास कार्यों को बढ़ाने और स्थानीय निवासियों को लाभ पहुँचाने के लिए विशेष ध्यान देने का आश्वासन दिया। CM भूपेश साय ने कहा कि नक्सलवाद का युग समाप्त होना तय है, और हम इसे हर हाल में समाप्त करेंगे।
नक्सली गतिविधियों की जड़ें
छत्तीसगढ़ में नक्सली अक्सर ग्रामीण इलाकों में आतंक फैला रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि नक्सलियों की गतिविधियाँ अब घट रही हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि लोगों ने नक्सलवाद के खिलाफ सिद्धांत अपनाया है। वह यह भी बताते हैं कि स्थानीय लोग अब नक्सलियों का समर्थन नहीं कर रहे हैं, जो इस समस्या का समाधान पेश करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
विकास और सुरक्षा का संतुलन
सीएम ने यह भी उल्लेख किया कि विकास और सुरक्षा का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। नक्सलवाद के सख्त खिलाफ कार्रवाई के साथ, सरकार विकासात्मक पहल भी जारी रखेगी जिससे समुदाय का सशक्तिकरण हो सके। गाँव के स्थायी विकास पर जोर देते हुए, उन्होंने सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की अपील की।
News by PWCNews.com
जैसा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का प्रभाव कम हो रहा है, मुख्यमंत्री की यह घोषणा न केवल सुरक्षा के प्रति सरकार की दिशा को दिखाती है, बल्कि यह नक्सलियों को भी एक स्पष्ट संदेश है कि उनकी गतिविधियाँ अब सहन नहीं की जाएंगी। Keywords: CM भूपेश बघेल, नक्सलवाद, गणतंत्र दिवस, नक्सली चेतावनी, छत्तीसगढ़ का विकास, नक्सली गतिविधियाँ, सुरक्षा और विकास, नक्सली प्रभाव का अंत, सामाजिक शांति, स्थानीय निवासियों का समर्थन.
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