गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र को किया संबोधित, जानें क्या कहा?
देश के 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की बात कही। जानिए उन्होंने और क्या कहा?
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संदेश में राष्ट्र के प्रति अपने विचार साझा किए। उन्होंने भारतीय संस्कृति, एकता और विविधताओं की प्रशंसा की। अपने संबोधन के दौरान, राष्ट्रपति ने संविधान के महत्व पर जोर दिया और स्वतंत्रता की भावना के प्रति भारतीय नागरिकों को जागरूक किया। उनकी बातें युवा पीढ़ी को प्रेरित करने वाली रहीं।
संविधान और आजादी का मूल्य
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि हमारी स्वतंत्रता केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि यह हमारे प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने संविधान के आदर्शों का पालन करने और भारतीयता के मूल्यों को जीवन में आत्मसात करने की अपील की। आजादी के इस अवसर पर, उन्होंने सभी नागरिकों से राष्ट्रीय एकता का संकल्प लेने का आग्रह किया।
राष्ट्रीय एकता का संदेश
अपने संबोधन में, राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय एकता हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत है। विभिन्न भाषाएं, संस्कृतियां और धर्मों के बावजूद, हमें सभी के साथ एकजुट होकर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सामाजिक समरसता ही देश को सशक्त बनाएगी।
युवाओं के लिए प्रेरणा
राष्ट्रपति मुर्मू ने विशेष रूप से युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि वे अपने सपनों को साकार करने के लिए तत्पर रहें। उन्होंने कहा कि युवा ही देश का भविष्य हैं और उन्हें देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। राष्ट्रपति का यह संदेश स्पष्ट था कि सकारात्मक सोच और मेहनत से हर युवा किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकता है।
इस भावनात्मक और प्रेरणादायक संबोधन ने देशभर में एक नई ऊर्जा का संचार किया है।
यह संबोधन न केवल गणतंत्र दिवस के महत्व को बताता है, बल्कि यह हमें हमारे कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की भी याद दिलाता है। आगामी गणतंत्र दिवस पर, हमें अपने देश के प्रति गर्व करने और अपनी आवाज़ सुनाने का अवसर मिलेगा।
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