जम्मू-कश्मीर में फल-फूल रहा हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम बिजनेस, 2 साल में हो गया 2,567 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट

कश्मीर के हस्तशिल्प एवं हथकरघा विभाग के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में कानी और सोजनी शॉल का निर्यात 1,105 करोड़ रुपये रहा।

Feb 23, 2025 - 19:00
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जम्मू-कश्मीर में फल-फूल रहा हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम बिजनेस, 2 साल में हो गया 2,567 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट

जम्मू-कश्मीर में फल-फूल रहा हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम बिजनेस

News by PWCNews.com

अवधारणा और背景

जम्मू-कश्मीर का हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम बाजार हाल के वर्षों में नए आयामों की ओर बढ़ रहा है। पिछले दो सालों में, यह क्षेत्र 2,567 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट करने में सफल रहा है, जिसने न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी प्रदान किए हैं। इस वृद्ध‍ि का श्रेय स्थानीय कारीगरों की विशेषज्ञता और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बढ़ती मांग को दिया जा सकता है।

हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट की विशेषता

जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पाद, जैसे कि कश्मीरी पाटन और शॉल, दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। इनकी बुनाई की शैली और गुणवत्ता इसे अन्य उत्पादों से अलग बनाती है। स्थानीय कारीगर अपनी पारंपरिक तकनीकों का पालन करते हुए वैश्विक मानकों पर खरे उतरने का प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही, सही विपणन रणनीतियों और डिजिटलीकरण ने भी इस उद्योग को एक नई दिशा दी है।

सरकारी प्रयास और समर्थन

सरकार ने हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं। विभिन्न लघु वित्त योजनाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से, कारीगरों को अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। इससे न केवल उनके व्यवसाय में सुधार हो रहा है, बल्कि उन्हें स्वरोजगार के लिए भी प्रोत्साहन मिल रहा है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में विस्तार

जम्मू-कश्मीर के हस्तशिल्प उत्पाद अब विभिन्न अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी उपस्थिति बना रहे हैं। निर्यात में वृद्धि के साथ, स्थानीय उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय पहचान भी बढ़ रही है। इस परिदृश्य में, जानकारों का मानना है कि उचित विपणन और ब्रांडिंग से ये कारीगर अपने उत्पादों को और अधिक सफलतापूर्वक प्रस्तुत कर सकेंगे।

आगामी चुनौतियाँ

जैसा कि यह उद्योग फल-फूल रहा है, इसके सामने कुछ चुनौतियाँ भी हैं। जैसे कि आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग न करना, प्रतियोगिता में पिछड़ना, और कच्चे माल की उपलब्धता। इसके बावजूद, कारीगरों और सरकारी अधिकारियों को इन समस्याओं का समाधान खोजने के लिए लगातार प्रयास करना होगा।

निष्कर्ष

जम्मू-कश्मीर का हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम व्यवसाय निश्चित रूप से विकास की ओर अग्रसर है। इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति और कारीगरी को ध्यान में रखते हुए, इसकी मांग और भविष्य की संभावनाओं पर कोई संदेह नहीं है। इसके लिए आवश्यक है कि हम इस क्षेत्र का समर्थन जारी रखें और इसे और अधिक सफल बनाने के लिए सभी संभव प्रयास करें।

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