नहीं रहे राम मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास, 87 साल की उम्र में ली आखिरी सांस
87 वर्षीय महंत सत्येंद्र दास की ‘ब्रेन स्ट्रोक’ के कारण तबीयत बिगड़ जाने के बाद उन्हें लखनऊ के SGPGI में भर्ती कराया गया था। वह 6 दिसंबर, 1992 को अस्थायी राम मंदिर के पुजारी थे, जब बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था। उनका पूरे अयोध्या और यहां तक कि उससे परे भी व्यापक सम्मान है।
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महंत सत्येंद्र दास का जीवन और कार्य
राम मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास का निधन एक अपूरणीय क्षति है। 87 साल की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके जीवन का अधिकांश समय अयोध्या में राम मंदिर की सेवा में गुजरा। महंत सत्येंद्र दास ने न केवल पूजा कार्यों का संचालन किया, बल्कि धार्मिक समृद्धि और समाज सेवा के लिए भी प्रतिबद्धता दिखाई। उनकी साधना और भक्ति ने लाखों लोगों को प्रेरित किया।
महंत की विशेषताएँ और योगदान
महंत सत्येंद्र दास का व्यक्तित्व सरलता और समर्पण का प्रतीक था। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर की महत्ता को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके कार्यों में धैर्य का पाठ पढ़ना, भक्तों को मार्गदर्शन करना और मंदिर के विकास में योगदान देना शामिल था। उनकी मौजूदगी में राम मंदिर परिसर मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बना रहा।
समाज पर प्रभाव और श्रद्धांजलि
महंत सत्येंद्र दास का निधन केवल एक व्यक्तिगत क्षति नहीं है, बल्की समस्त भारतीय समाज के लिए एक गहरी ख़ासी है। कई भक्त और अनुयायी उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। वे रामभक्तों की प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।
आखिरी समय और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया
महंत सत्येंद्र दास की अंतिम यात्रा में सैकड़ों भक्त शामिल हुए। उनके द्वारा किए गए कार्यों को हमेशा याद किया जाएगा। राम मंदिर की प्रबंधन समिति ने उनके योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बनाई है।
निष्कर्ष
महंत सत्येंद्र दास का जीवन और उनकी शिक्षाएँ हम सबके लिए एक प्रेरणा हैं। उनकी धार्मिक निष्ठा और समाज सेवा का इतिहास हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा। उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। Keywords: राम मंदिर, महंत सत्येंद्र दास, अयोध्या, मुख्य पुजारी, धार्मिक नेता, श्रद्धांजलि, समाज सेवा, हिंदू धर्म, मंदिर सेवा, भक्ति, 87 साल की उम्र, अंतिम संस्कार, राम भक्त, आध्यात्मिक ऊर्जा, संत का योगदान.
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