बचपन में हुआ मां का निधन, फिर मेहनत से पाया पैरालंपिक पदक; अब अर्जुन अवॉर्ड पर नित्या का बयान आया सामने
Nithya Sre Sivan: अर्जुन अवॉर्ड के लिए चुनी गईं पैरालंपिक कांस्य पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी नित्या श्री सिवन को अब भी स्कूल के वे आंसू भरे दिन याद हैं अपने ऊपर कसी गई फब्तियों से निराश होकर वह अवसाद में रहने लगी थीं।
बचपन में हुआ मां का निधन, फिर मेहनत से पाया पैरालंपिक पदक; अब अर्जुन अवॉर्ड पर नित्या का बयान आया सामने
बचपन में कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद नित्या ने अपने दृढ़ निश्चय से पैरालंपिक में सफलता हासिल की। मां के निधन के बाद, उन्होंने अपने साहस और संघर्ष से साबित किया कि सपने साकार किए जा सकते हैं। नित्या ने यह भी कहा कि यह पुरस्कार (अर्जुन अवॉर्ड) उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
नित्या का जीवन संघर्ष
नित्या की कहानी प्रेरणादायक है। जब उनकी मां का निधन हुआ, तब वह बहुत युवा थीं। इस कठिन समय में उन्होंने अपने सपनों को ना सिर्फ देखा, बल्कि उन्हें पूरा करने की ठानी। उन्हें अपनी मेहनत और समर्पण के कारण पैरालंपिक में सफलता मिली।
पैरालंपिक में पदक जीतने की यात्रा
नित्या ने अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता के बल पर पैरालंपिक में पदक जीता। उनकी उपलब्धियां अन्य खिलाड़ियों के लिए मिसाल बनी हैं। उन्होंने दिखाया कि कठिनाइयाँ केवल अस्थायी होती हैं
अर्जुन अवॉर्ड पर नित्या का बयान
हाल ही में नित्या ने अर्जुन अवॉर्ड पर अपने विचार साझा किए। उनका कहना है कि यह पुरस्कार उनके लिए और उनके जैसे अन्य खिलाड़ियों के लिए एक पहचान है। उन्होंने अपने जीवन की यात्रा को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी।
समाज के लिए संदेश
नित्या का संदेश स्पष्ट है कि जिंदगी में कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन जो लोग संघर्ष करते हैं, वे हमेशा सफल होते हैं। उन्होंने कहा, "हर किसी को अपने सपनों का पीछा करना चाहिए।" उनके प्रयास हर परिस्थिति में उत्साह प्रदान करते हैं।
नित्या की कहानी हम सभी के लिए प्रेरणा है। उनका संघर्ष और सफलता यह दर्शाती है कि अगर हम मेहनत करें, तो कुछ भी असंभव नहीं।
News by PWCNews.com
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