विश्वविद्यालयों में जात-पात को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, UGC से मांगा शिकायतों का डेटा, कहा- नियम ढंग से हों लागू

रोहित वेमुला और पायल तड़वी की मां की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जातिगत भेदभाव को लेकर याचिका डाली गई है। जिस पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच सुनवाई कर रही थी। बेंच ने सख्ती दिखाते हुए UGC से रिपोर्ट तलब की है। अदालत ने कहा है कि UGC अभी तक हुए जातिगत भेदभाव के मामलों की शिकायतों का डाटा प्रस्तुत करे।

Jan 3, 2025 - 20:00
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विश्वविद्यालयों में जात-पात को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, UGC से मांगा शिकायतों का डेटा, कहा- नियम ढंग से हों लागू

विश्वविद्यालयों में जात-पात को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त

News by PWCNews.com

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालयों में जात-पात संबंधी भेदभाव को खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। कोर्ट ने यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) से शिकायतों का विस्तृत डेटा मांगा है। यह निर्देश सभी शिक्षण संस्थानों के लिए एक चेतावनी के रूप में आया है कि उन्हें अपने नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने की जरूरत है।

UGC और शैक्षणिक संस्थानों की जिम्मेदारी

UGC, जो उच्च शिक्षा के लिए मानक निर्धारित करने वाली प्रमुख संस्था है, अब जात-पात की भेदभाव की शिकायतों की जांच करेगा। सुप्रीम कोर्ट चाहती है कि UGC इन शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए उचित कदम उठाए। इसके साथ ही, स्कूलों और कॉलेजों को भी इस दिशा में सख्ती से कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

जात-पात भेदभाव का महत्व

जात-पात आधारित भेदभाव एक गंभीर मुद्दा है जो भारतीय समाज के कई क्षेत्रों में व्याप्त है। शैक्षणिक क्षेत्र में यह समस्या विशेष रूप से चिंता का विषय बनी हुई है। कोर्ट का यह कदम एक सकारात्मक संकेत है, जो भारत में सभी छात्रों के लिए समान अवसर प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

समाज में बदलाव के संकेत

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल शैक्षणिक संस्थानों को उत्तरदायी ठहराने की कोशिश है, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन और समानता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। अदालत ने यह आश्वासन दिया है कि वह जातिवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को जारी रखेगी।

सारांश

इस आदेश के प्रस्तुति के माध्यम से, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि जाति के आधार पर भेदभाव को सहन नहीं किया जाएगा। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सभी छात्रों को समान अधिकार प्राप्त होना चाहिए। UGC को आदेश दिया गया है कि वह इस दिशा में तेजी से कार्य करे और जात-पात की समस्याओं का समाधान निकाले।

इस प्रकार, यह निर्णय भारत के शैक्षणिक संस्थानों के भविष्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

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