'संसद ही सुप्रीम है', आलोचना के बीच फिर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया बड़ा बयान

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि संवैधानिक प्राधिकारी द्वारा बोला गया प्रत्येक शब्द सर्वोच्च राष्ट्रहित से प्रेरित होता है। उन्होंने हाल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर की गई अपनी टिप्पणी पर सवाल उठाने वाले आलोचकों पर निशाना साधा।

Apr 22, 2025 - 14:00
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'संसद ही सुप्रीम है', आलोचना के बीच फिर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया बड़ा बयान

‘संसद ही सुप्रीम है’, आलोचना के बीच फिर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया बड़ा बयान

हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बड़ा बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा, 'संसद ही सुप्रीम है।' इस बयान के पीछे की सोच और इसके प्रभाव पर चर्चा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर जब यह आलोचना का कारण बन गया है।

बयान का संदर्भ

भारतीय राजनीति में संसद की भूमिका हमेशा से ही महत्वपूर्ण रही है। उपराष्ट्रपति के इस बयान में उन्होंने तर्क किया है कि संसद की सर्वोच्चता रक्षा करने की आवश्यकता है और यह एक लोकतांत्रिक सिद्धांत है। इस टिप्पणी ने कई राजनीतिक नेताओं और समीक्षकों की आलोचना को जन्म दिया है।

आलोचना और प्रतिक्रियाएँ

विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने जगदीप धनखड़ के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुछ ने इसे लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने वाला बताया है, जबकि अन्य इसे संविधान के अंगों के बीच शक्ति संतुलन के विपरीत मानते हैं। इस बात की आवश्यकता है कि सभी पक्ष इस तरह के बयानों पर गंभीरता से गौर करें।

लोकतंत्र में संसद की भूमिका

संसद एक ऐसा संस्थान है जहाँ विभिन्न विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व होता है। उपराष्ट्रपति का यह बयान इस बात को दर्शाता है कि संसद को अपनी शक्तियों का सही उपयोग करने का निर्धारण करना चाहिए। इसके साथ ही, राज्य के अन्य अंगों की भी अपनी भूमिका है जिसे बरकरार रखना आवश्यक है।

निष्कर्ष

वर्तमान समय में उपराष्ट्रपति के इस बयान ने राजनीतिक चर्चा को नया मोड़ दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह बयान किस तरह से भारतीय राजनीति को प्रभावित करता है। 'संसद ही सुप्रीम है' का विचार न केवल विचारशीलता का परिचायक है बल्कि लोकतंत्र की गहराईयों में जाकर इसे समझने का भी संकेत देता है।

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