सावित्रीबाई फुले की कहानी: 9 साल की उम्र में शादी, इसके बाद शुरू की पढ़ाई और बनीं देश की पहली शिक्षिका

सावित्रीबाई फुले की शादी महज नौ साल की उम्र में हो गई थी। उनके पति की उम्र 13 साल थी। इस समय तक सावित्रीबाई कभी स्कूल नहीं गई थीं। इसके बाद उन्होंने पढ़ाई की और देश की पहली शिक्षिका बनीं।

Jan 3, 2025 - 06:53
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सावित्रीबाई फुले की कहानी: 9 साल की उम्र में शादी, इसके बाद शुरू की पढ़ाई और बनीं देश की पहली शिक्षिका

सावित्रीबाई फुले की कहानी: 9 साल की उम्र में शादी, इसके बाद शुरू की पढ़ाई और बनीं देश की पहली शिक्षिका

सावित्रीबाई फुले भारतीय समाज की एक प्रमुख हस्ती थीं जिन्होंने महिला शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई। उनका जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है जिसमें कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने शिक्षा के प्रति अपने जुनून को जारी रखा। News by PWCNews.com के इस लेख में, हम उनकी प्रेरणादायक यात्रा को विस्तार से जानेंगे।

शादी की उम्र: एक नई शुरुआत

सावित्रीबाई फुले की शादी 9 साल की उम्र में हुई थी। उस समय भारतीय समाज में लड़कियों की शादी जल्दी कर दी जाती थी। लेकिन उन्होंने अपने जीवन को इस परिदृश्य के खिलाफ एक नया मोड़ देने का निर्णय लिया। शादी के बाद, उन्होंने शिक्षा प्राप्त करने का संकल्प लिया।

शिक्षा की ओर कदम

शादी के बाद, सावित्रीबाई ने महिलाओं की शिक्षा के महत्व को समझा। उन्होंने अपने पति, ज्योतिबा फुले के सहयोग से 1848 में पहला लड़कियों का स्कूल खोला। यह उन दिनों की एक साहसी पहल थी जब लड़कियों को स्कूल भेजना सामान्य नहीं था। उनके इस प्रयास ने भारतीय समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाई।

देश की पहली शिक्षिका

सावित्रीबाई फुले को देश की पहली शिक्षिका माना जाता है। उन्होंने न केवल अपने अपने विद्यालय में शिक्षा देने का कार्य किया, बल्कि अपने समय के अनेक संवेदनशील मुद्दों पर भी आवाज उठाई। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि सभी वर्गों की लड़कियों को शिक्षा मिले। उनके अनवरत प्रयासों के चलते, आज कई महिलाएं शिक्षित हो रही हैं और समाज में अपने अधिकारों के लिए लड़ रही हैं।

legacy and recognition

सावित्रीबाई फुले की उपलब्धियों का प्रभाव आज भी स्पष्ट है। उन्हें समाज सुधार के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। भारत सरकार ने उन्हें विभिन्न तरीकों से सम्मानित किया है, और उनकी जयंती पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उनकी कहानी अब प्रेरणा स्रोत बन गई है, और हरियाली की ओर बढ़ते कदमों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है।

सावित्रीबाई फुले की कहानी न केवल महिलाओं की शिक्षा के लिए, बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए एक प्रेरणा है। उनकी संघर्ष की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, शिक्षा के माध्यम से हम अपनी पहचान बना सकते हैं। News by PWCNews.com आपके लिए इस तरह की जानकारी लाता रहेगा।

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