साहित्यिक संगोष्ठी में उत्तराखण्ड मूल के प्रतिभाशाली छात्रों को सीए की फाइनल परीक्षा पास करने पर किया सम्मानित
नई दिल्ली: दिल्ली की एक साहित्यिक संगोष्ठी में पजल परिवार द्वारा उत्तराखण्ड मूल के प्रतिभाशाली छात्रों श्रेष्ठा नेगी, प्रेरणा कंडारी और आशुतोष कुकरेती को उनके वर्ष 2025 के सीए फाइनल उत्तीर्ण करने पर प्रोत्साहन सम्मान दिया गया। संगोष्ठी में उपस्थित गढ़वाल हितैषिणी सभा के पूर्व अध्यक्ष अजय बिष्ट ने कहा कि जून माह में 156 […] The post साहित्यिक संगोष्ठी में उत्तराखण्ड मूल के प्रतिभाशाली छात्रों को सीए की फाइनल परीक्षा पास करने पर किया सम्मानित appeared first on Devbhoomisamvad.com.

साहित्यिक संगोष्ठी में उत्तराखण्ड मूल के प्रतिभाशाली छात्रों को सीए की फाइनल परीक्षा पास करने पर किया सम्मानित
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नई दिल्ली: दिल्ली की एक साहित्यिक संगोष्ठी में पजल परिवार द्वारा उत्तराखण्ड मूल के प्रतिभाशाली छात्रों श्रेष्ठा नेगी, प्रेरणा कंडारी और आशुतोष कुकरेती को उनके वर्ष 2025 के सीए फाइनल उत्तीर्ण करने पर प्रोत्साहन सम्मान दिया गया। संगोष्ठी में उपस्थित गढ़वाल हितैषिणी सभा के पूर्व अध्यक्ष अजय बिष्ट ने कहा कि जून माह में 156 कुसुम जगमोरा पजल लोक-साहित्य सम्मान देने के बाद पजल परिवार द्वारा यह एक सराहनीय प्रयास है।
सम्मान समारोह का महत्व
सीए की फाइनल परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले ये युवा छात्र केवल अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों को ही नहीं, बल्कि अपने समुदाय का भी नाम रोशन कर रहे हैं। अजय बिष्ट ने बताया कि इस प्रकार के सम्मान समारोह न केवल छात्रों का उत्साह बढ़ाते हैं, बल्कि समाज में शिक्षा के महत्व को भी दर्शाते हैं। उनके अनुसार, “शिक्षा केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह समाज के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।”
साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन
यह संगोष्ठी एक महत्वपूर्ण साहित्यिक कार्यक्रम में आयोजित की गई थी, जिसमें कई प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने भाग लिया। जयपाल सिंह रावत ने शिक्षा और साहित्य के संवर्धन पर जोर देते हुए कहा कि युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए ऐसे आयोजन आवश्यक हैं। उन्होंने गढ़वाली लोक साहित्य की महत्ता को भी रेखांकित किया।
पजल परिवार की पहल
पजल परिवार ने पिछले कई वर्षों से लोक साहित्य के विकास के लिए कई प्रयास किए हैं। सुशील बुड़ाकोटी ने बताया कि जगमोहन सिंह रावत ‘जगमोरा’ द्वारा पजल यात्रा ने गढ़वाली भाषा को नई पहचान दिलाई है। उनका उद्देश्य क्षेत्रीय भाषाओं को सम्मान देना और उन्हें आगे बढ़ाना है।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
संगोष्ठी में डॉ हेमा उनियाल, यशोदा घिल्डियाल जैसे कई अन्य साहित्यकारों ने भी भाग लिया। सभी उपस्थित व्यक्तियों ने इस तरह के आयोजनों को जारी रखने का संकल्प लिया ताकि युवा प्रतिभाओं को और भी प्रोत्साहन मिल सके।
निष्कर्ष
इस कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि शिक्षा और साहित्य का मिलन कितनी सकारात्मकता ला सकता है। यह समर्पण न केवल छात्रों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बन गया है। हमें उम्मीद है कि ऐसे आयोजन आगे भी होते रहेंगे और युवा पीढ़ी को एक नई दिशा दिखाएंगे।
अम्मा के साथ बंधे इन छात्रों की प्रतिभा ने हुनर और शिक्षा के फलक पर एक नया सितारा जोड़ दिया है। आगे चलकर, हम देखेंगे कि वे समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कैसे अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं। ये छात्र केवल अपने लिए नहीं, बल्कि अपने समुदाय के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।
Written by: Pooja Sharma, Meera Gupta, and team pwcnews
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