हरेला हमारी संस्कृति और चेतना का पर्व : धामी
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला के पावन अवसर पर गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज परिसर, देहरादून में “हरेला का त्योहार मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ” थीम पर आयोजित राज्यव्यापी पौधारोपण कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए समस्त प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। इस अवसर […] The post हरेला हमारी संस्कृति और चेतना का पर्व : धामी appeared first on Uttarakhand News Update.

हरेला हमारी संस्कृति और चेतना का पर्व : धामी
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देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला के पावन अवसर पर गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज परिसर, देहरादून में “हरेला का त्योहार मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ” थीम पर आयोजित राज्यव्यापी पौधारोपण कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए समस्त प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर उन्होंने रुद्राक्ष का पौधा रोपा।
हरेला पर्व: संस्कृति और चेतना का संगम
मुख्यमंत्री धामी ने इस पर्व के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हरेला केवल एक पर्व नहीं, बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति, प्रकृति और चेतना से जुड़ा एक गहरा भाव है। यह पर्व हमें पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। उन्होंने साझा किया कि हरेला पर्व के दिन लगभग 5 लाख पौधे रोपे जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो राज्य में हरित आवरण विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
संचालन और सहभागिता
मुख्यमंत्री ने इस महाभियान में सरकार के साथ जनसहभागिता, स्वयंसेवी संगठनों, छात्र-छात्राओं, महिला समूहों और पंचायतों का सहयोग शामिल करने की बात की। उन्होंने कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लगाए गए पौधों की नियमित देखभाल की जाए, जब तक वे वृक्ष का रूप न ले लें।" यह हम सभी का नैतिक कर्तव्य है कि हम उत्तराखंड की प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता का संरक्षण करें।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में गंभीर कदम
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'पंचामृत संकल्प' और 'नेट ज़ीरो इमिशन' जैसे अभियानों का उल्लेख किया। इसके साथ, उत्तराखंड में 'स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी (SARRA)' के गठन की जानकारी दी, जिसके माध्यम से 6,500 से अधिक जल स्रोतों का संरक्षण किया गया है। इस प्रकार, राज्य में जल संरक्षण के प्रति सरकार की गंभीरता स्पष्ट होती है।
विशेष आह्वान
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि वे अपने जीवन के विशेष अवसरों पर एक पौधा अवश्य लगाएं और उसकी देखभाल करें। उन्होंने कहा, "इससे पर्यावरण संरक्षण को एक जनांदोलन बनाया जा सकेगा।" हरेला पर्व हमें यह सिखाता है कि प्रकृति की रक्षा करना न केवल एक दायित्व है, बल्कि एक पुनीत कर्तव्य भी है।
सांस्कृतिक परंपरा का संरक्षण
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में हरेला पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो हमारी सांस्कृतिक चेतना का प्रमाण है। वहीं, वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि लोकपर्व हरेला प्रदेश के 2,389 स्थानों पर मनाया जा रहा है, और पिछले तीन वर्षों में लगाए गए पौधों का सर्वाइवल रेट 80 प्रतिशत से अधिक रहा है।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड का हरेला पर्व न केवल पौधारोपण के लिए एक कार्यक्रम है, बल्कि यह एक पवित्र अवसर है जो हमारी सांस्कृतिक विरासत, पर्यावरण मंत्रणा और चेतना का संगम है। इसकी सफलता पर्यावरण संरक्षण और हमारी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
हर साल प्रदेशवासियों की सक्रिय भागीदारी से यह पर्व और भी विशेष बनेगा और हम सभी को हमारे पर्यावरण का संरक्षण करने की प्रेरणा देगा।
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