तेलंगाना की टनल में 7 लोगों को ढूंढने में जुटे ये कुत्ते हैं बेहद खास; जानें रेस्क्यू में कैसे बनेंगे ‘संकटमोचक’

तेलंगाना की सुरंग के अंदर शुक्रवार को खोजी कुत्तों ने इंसानी मौजूदगी के दो संभावित स्थानों की पहचान की थी जिसके बाद बचावकर्मियों ने वहां का मलबा निकालना शुरू कर दिया। ये कुत्ते खास बेल्जियन मेलिनोइस नस्ल के हैं, 15 फीट की दूरी से भी इंसानी महक को पहचान लेते हैं।

Mar 10, 2025 - 21:53
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तेलंगाना की टनल में 7 लोगों को ढूंढने में जुटे ये कुत्ते हैं बेहद खास; जानें रेस्क्यू में कैसे बनेंगे ‘संकटमोचक’

तेलंगाना की टनल में 7 लोगों को ढूंढने में जुटे ये कुत्ते हैं बेहद खास; जानें रेस्क्यू में कैसे बनेंगे ‘संकटमोचक’

तेलंगाना में एक दिल दहला देने वाली घटना के बाद, वहाँ की टनल में फंसे 7 लोगों की तलाश में उच्च प्रशिक्षित कुत्तों का एक दल सक्रिय हो गया है। यह कुत्ते अपनी अद्वितीय क्षमताओं और स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग के कारण संकट के समय में 'संकटमोचक' साबित हुए हैं। इस लेख में हम जानेंगे इन कुत्तों की विशेषताएँ, उनकी ट्रेनिंग प्रक्रिया और उनकी भूमिका रेस्क्यू मिशन में।

विशेष कुत्तों की भूमिका

विशेष कुत्ते, जिन्हें आमतौर पर श्रवण, गंध और दृष्टि संबंधी क्षमताओं के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, रेस्क्यू मिशनों में बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। ये कुत्ते ना केवल फंसे हुए लोगों की खोज में मदद करते हैं, बल्कि बचावकर्ताओं के लिए एक दिशानिर्देश भी बनते हैं। तेलंगाना की टनल में इन कुत्तों द्वारा किए गए प्रयासों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं:

1. गंध पहचानने की क्षमता

विशेष कुत्तों की गंध पहचानने की क्षमता इंसान की तुलना में कई गुना अधिक होती है। यह उन्हें किसी भी छिपे हुए व्यक्ति या वस्तु को खोजने में सहायता करती है।

2. जल्दी प्रतिक्रिया

ये कुत्ते प्राकृतिक रूप से तेजी से प्रतिक्रिया करने की क्षमता रखते हैं। जब इनसे संकेत दिया जाता है, तो ये तुरंत एक्शन में आ जाते हैं।

कुत्तों की ट्रेनिंग प्रक्रिया

इन कुत्तों की ट्रेनिंग एक लंबी प्रक्रिया होती है, जिसमें विभिन्न प्रकार की तकनीकों का उपयोग किया जाता है। कुत्तों को स्थिति को समझना, संकेतों पर प्रतिक्रिया देना और ऐसे समय में प्रदर्शन करना सिखाया जाता है जब मानव बचावकर्ता को चुनौती का सामना करना पड़ता है।

ट्रेनिंग के चरण

  • बुनियादी आज्ञाकारिता: कुत्तों को प्रारंभिक आदेशों का पालन करना सिखाया जाता है।
  • गंध का प्रशिक्षण: कुत्तों को विशेष गंधों को पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। ये गंधें मलबे के नीचे दबे हुए लोगों को पहचानने में मदद करती हैं।
  • संकट की स्थितियों में कार्य: यहाँ कुत्तों को विभिन्न स्थितियों और परिदृश्यों में काम करने की क्षमता का विकास किया जाता है।

निष्कर्ष

तेलंगाना की टनल में रेस्क्यू मिशन के दौरान ये कुत्ते न केवल सहायक होते हैं, बल्कि वे जीवन के लिए एक आशा की किरण भी बन जाते हैं। इनके विशेष कौशल और प्रशिक्षण की बदौलत, हमें उम्मीद है कि फंसे हुए सभी लोग जल्द ही सुरक्षित निकल सकें। रेस्क्यू मिशन की प्रगति पर नज़र रखने के लिए, अधिक जानकारी के लिए PWCNews.com पर जाएँ।

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