गूगल-मेटा को ईडी का नोटिस: अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के प्रचार में भूमिका की जांच
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ऑनलाइन सट्टेबाजी घोटाले की जांच का दायरा बढ़ाते हुए शनिवार को तकनीकी कंपनियों गूगल और मेटा को नोटिस जारी किया। दोनों कंपनियों को 21 जुलाई को पूछताछ के लिए तलब किया गया है। आरोप है कि इन प्लेटफार्मों ने अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के प्रचार में मदद की, जिनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग […] The post गूगल-मेटा को ईडी का नोटिस: अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के प्रचार में भूमिका की जांच appeared first on Khabar Sansar News.

गूगल-मेटा को ईडी का नोटिस: अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के प्रचार में भूमिका की जांच
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ऑनलाइन सट्टेबाजी घोटाले की जांच का दायरा बढ़ाते हुए शनिवार को तकनीकी कंपनियों गूगल और मेटा को नोटिस जारी किया। दोनों कंपनियों को 21 जुलाई को पूछताछ के लिए तलब किया गया है। आरोप है कि इन प्लेटफार्मों ने अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के प्रचार में मदद की, जिनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला के गंभीर मामले दर्ज हैं।
विज्ञापन स्लॉट से बढ़ाया अवैध सट्टेबाजी का नेटवर्क
अधिकारियों के अनुसार, गूगल और मेटा ने न सिर्फ इन ऐप्स से जुड़ी वेबसाइटों को अपने प्लेटफार्मों पर जगह दी बल्कि इन्हें बड़े विज्ञापन स्लॉट भी उपलब्ध कराए। इससे इन प्लेटफार्मों की पहुंच बढ़ी और करोड़ों रुपये का अवैध लेनदेन हुआ। ईडी के मुताबिक, कई ऐप्स ने कौशल आधारित गेमिंग का मुखौटा पहनकर अवैध जुए को बढ़ावा दिया और हवाला चैनलों से धनराशि बाहर भेजी।
बॉलीवुड सितारों पर भी शिकंजा
पिछले सप्ताह ईडी ने इसी मामले में 29 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिनमें अभिनेता, टीवी होस्ट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शामिल हैं। महादेव बेटिंग ऐप घोटाले में प्रकाश राज, राणा दग्गुबाती और विजय देवरकोंडा जैसे नाम जांच के घेरे में हैं। आरोप है कि इन हस्तियों को ऐप्स के प्रचार के लिए मोटी रकम दी गई। इस घोटाले का अनुमानित आकार 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
आईपीएल मैचों की अवैध स्ट्रीमिंग भी जांच के दायरे में
जांच में फेयरप्ले आईपीएल ऐप का मामला भी सामने आया, जिसने आईपीएल मैचों की गैरकानूनी स्ट्रीमिंग की और सट्टेबाजी को बढ़ावा दिया। इससे टूर्नामेंट के प्रसारक वायकॉम18 को बड़ा नुकसान हुआ। कई भारतीय सितारों की भूमिका की जांच जारी है, और अब तक करोड़ों की संपत्ति जब्त हो चुकी है।
इस संदर्भ में, यह जरूरी है कि टेक्नोलॉजी कंपनियाँ अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से समझें और उचित नियमों का पालन करें। ईडी का यह कदम निश्चित रूप से जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
इस घोटाले के विस्तारीकरण और गूगल तथा मेटा की भूमिका की जाँच ने कई गंभीर सवाल उठाए हैं। क्या तकनीकी सट्टेबाजी ऐप्स पर विज्ञापन देने वाले प्लेटफार्मों की भी जाँच होनी चाहिए? क्या भारत में ऑनलाइन सट्टेबाजी कानूनों को सख्त करने की आवश्यकता है? इन सभी सवालों का उत्तर मिलने में समय लगेगा, लेकिन यह तो तय है कि इस मामले का असर व्यापक होगा।
आगे बढ़ते हुए यह देखना रोचक होगा कि ईडी की जांच के परिणाम क्या होते हैं और गूगल तथा मेटा जैसे तकनीकी दिग्गजों को कैसे जवाबदेह ठहराया जाता है।
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