भाई-बहन के अटूट स्नेह का पर्व रक्षाबंधन 9 अगस्त को, इस बार बन रहे हैं ये शुभ संयोग

Raksha Bandhan 2025: भारतीय संस्कृति में पर्व-त्योहार न केवल आनंद और उल्लास का माध्यम हैं, बल्कि वे पारिवारिक मूल्यों, परंपराओं और रिश्तों को भी मजबूती प्रदान करते हैं। इन्हीं पर्वों में रक्षाबंधन का विशेष स्थान है, जो भाई-बहन के पवित्र प्रेम और कर्तव्यों का प्रतीक है। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह […] The post भाई-बहन के अटूट स्नेह का पर्व रक्षाबंधन 9 अगस्त को, इस बार बन रहे हैं ये शुभ संयोग appeared first on Devbhoomisamvad.com.

Aug 5, 2025 - 09:53
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भाई-बहन के अटूट स्नेह का पर्व रक्षाबंधन 9 अगस्त को, इस बार बन रहे हैं ये शुभ संयोग

भाई-बहन के अटूट स्नेह का पर्व रक्षाबंधन 9 अगस्त को, इस बार बन रहे हैं ये शुभ संयोग

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रक्षाबंधन का पर्व, जो भाई-बहन के पवित्र प्रेम और कर्तव्यों का प्रतीक है, इस बार 9 अगस्त को मनाया जाने वाला है। भारतीय संस्कृति में पर्वों का विशेष स्थान होता है, जो न केवल परिवार के संबंधों को मजबूत करते हैं बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं को भी उजागर करते हैं। इस बार, रक्षाबंधन पर कुछ खास योग भी बन रहे हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।

रक्षाबंधन का महत्त्व

रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा-सूत्र (राखी) बांधती है और भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। यह परंपरा सिर्फ एक रस्म नहीं है, बल्कि परिवार के रिश्तों को जोड़ने और स्नेह का प्रतीक है। अनेक धार्मिक ग्रंथों में रक्षाबंधन से जुड़ी किंवदंतियाँ भी बताई गई हैं।

धार्मिक ग्रंथों में रक्षाबंधन की कहानियाँ

  1. भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कहानी: जब भगवान श्रीकृष्ण को चोट लगी थी, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी कलाई पर बांध दिया था।
  2. रानी कर्मावती और सम्राट हुमायूं: चित्तौड़ की रानी कर्मावती ने हुमायूं को राखी भेजकर मदद मांगी थी।
  3. यमराज और यमुना: यमराज को उनकी बहन यमुना ने राखी बांधी थी और अमरत्व का वरदान मांगा था।

इस बार बन रहे हैं शुभ संयोग!

इस वर्ष रक्षाबंधन पर विशेष योग बन रहे हैं। 9 अगस्त को सौभाग्य, शोभन और स्वार्थ सिद्ध योग का संयोग है, जिससे यह पर्व खास बन जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार भद्रा काल नहीं होगा, जिससे पूरे दिन राखी बांधने का अवसर रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:22 से 5:04 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:17 से 12:53 बजे तक रहेगा। यह संयोग पिछले चार वर्षों में नहीं बना था।

भावनाओं का पर्व

रक्षाबंधन केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि भाई-बहन के संबंधों को मजबूत बनाने वाला एक भावनात्मक बंधन है। यह पर्व हमें बताता है कि रिश्ते क्या महत्वपूर्ण हैं और हमें एक-दूसरे की रक्षा कैसे करनी चाहिए।

समाप्ति

रक्षाबंधन का पर्व सभी भाई-बहनों के लिए प्यार और समर्पण का प्रतीक है। चलिए, इस बार मिलकर इसे और खास बनाते हैं और अपने रिश्तों को और मजबूती देते हैं।

लेखक: सुषमा रावत, वरिष्ठ पत्रकार, टीम pwcnews

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